ऑन द डॉट

रोमनी

ठीक साढ़े दस बजे, मेरी बाईं कलाई पर बंधी घड़ी बीप करने लगी। आवाज ने मेरे सीने में गूंज पैदा कर दी, जिससे मुझे एहसास हुआ कि मैं कितना खाली महसूस कर रही थी। कितना खोखला।

शायद मैं इस जगह को फिर कभी न देख पाऊं। शायद एलेक्स, मिकी, टाइनी, डेमियन... को फिर कभी न देख पाऊं।

"धत्त तेरे की," मैंने...

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